पञ्चकल्याणक का महत्व
पञ्चकल्याणक दिगंबर जैन परंपरा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें तीर्थंकर के जीवन की पांच प्रमुख घटनाओं का उत्सव मनाया जाता है। ये पांच कल्याणक हैं:
1. गर्भ कल्याणक
यह कल्याणक तीर्थंकर के माता के गर्भ में आने की घटना का उत्सव है। इस समय देवगण आकाशमार्ग से आकर माता की सेवा करते हैं और रत्नवृष्टि करते हैं।
2. जन्म कल्याणक
तीर्थंकर के जन्म के समय तीनों लोकों में आनंद छा जाता है। इंद्र स्वयं मेरु पर्वत पर ले जाकर जन्माभिषेक करते हैं।
3. दीक्षा कल्याणक
इस कल्याणक में तीर्थंकर सांसारिक मोह-माया का त्याग कर दिगंबर मुद्रा धारण करते हैं और आत्मध्यान में लीन होते हैं।
4. ज्ञान कल्याणक
कठोर तपस्या के बाद तीर्थंकर को केवलज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे वे सम्पूर्ण ब्रह्मांड के ज्ञाता बन जाते हैं।
5. मोक्ष कल्याणक
अंतिम कल्याणक में तीर्थंकर का निर्वाण होता है और वे सिद्ध परमात्मा बनकर अनंत सुख को प्राप्त करते हैं।
पञ्चकल्याणक महोत्सव का धार्मिक महत्व
पञ्चकल्याणक महोत्सव के दौरान इन पांचों कल्याणकों का विधिवत पूजन और अनुष्ठान किया जाता है। यह अनुष्ठान श्रद्धालुओं को तीर्थंकर के जीवन से प्रेरणा लेने और आत्मकल्याण के मार्ग पर अग्रसर होने का अवसर प्रदान करता है।
इस महोत्सव में भाग लेने से पुण्य की प्राप्ति होती है और आत्मिक शांति मिलती है। यह जैन समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण सामूहिक धार्मिक अनुष्ठान है जो समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देता है।

पञ्चकल्याणक प्रतीक
पञ्चकल्याणक जैन धर्म की आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है

जैन मंदिर
पञ्चकल्याणक महोत्सव जैन मंदिरों में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है
महत्वपूर्ण तथ्य
- • पञ्चकल्याणक महोत्सव जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है
- • इसमें विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है
- • यह आयोजन कई दिनों तक चलता है
- • इसमें देश भर से श्रद्धालु भाग लेते हैं